सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! पति की खानदानी प्रॉपर्टी में पत्नी का हक तय Wife Property Rights

By Prerna Gupta

Published On:

Wife Property Rights

Wife Property Rights – हमारे समाज में पति-पत्नी की संपत्ति को लेकर कई तरह के सवाल और विवाद होते रहते हैं। खासकर पति की खानदानी संपत्ति में पत्नी का कितना हिस्सा होता है, यह कई बार साफ नहीं होता। ज्यादातर महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों से अनजान रहती हैं, जिसके कारण वे अपने हक से वंचित रह जाती हैं। इस लेख में हम विस्तार से बताएंगे कि भारतीय कानून के अनुसार पति की खानदानी, व्यक्तिगत और संयुक्त संपत्ति में पत्नी के क्या अधिकार हैं और इन्हें कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है।

खानदानी संपत्ति में पत्नी के अधिकार

खानदानी संपत्ति उस संपत्ति को कहते हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी पति के परिवार में चलती आई हो। यह जमीन, मकान या अन्य कोई संपत्ति हो सकती है, जो पति के पूर्वजों की तरफ से आई हो। कानूनी तौर पर पत्नी को पति की खानदानी संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार होता है, लेकिन यह अधिकार सीधे उसके नाम पर नहीं होता। पत्नी को यह अधिकार पति के हिस्से के माध्यम से मिलता है। यानी, पत्नी को सीधे मालिकाना हक तो नहीं मिलता, लेकिन पति की हिस्सेदारी में उसका हिस्सा होता है।

अगर पति-पत्नी के बीच तलाक होता है या पति की मृत्यु हो जाती है, तो अदालत स्थिति के अनुसार पत्नी को उस खानदानी संपत्ति में रहने का अधिकार दे सकता है। खासकर तब जब पत्नी के पास रहने के लिए कोई दूसरा विकल्प न हो। अदालत यह सुनिश्चित करता है कि पत्नी और बच्चे बेघर न हों। इसलिए कई बार अदालत खानदानी संपत्ति के घर में पत्नी को रहने की अनुमति भी दे देती है। यह अधिकार पारंपरिक कानून के साथ-साथ आधुनिक कानूनों में भी मान्यता प्राप्त है।

यह भी पढ़े:
Bank Holiday लगातार 3 दिन बंद रहेंगे सभी बैंक, तुरंत देखें छुट्टियों की लिस्ट Bank Holiday

पंजीकृत संपत्ति का मालिकाना हक

अगर संपत्ति सिर्फ पति के नाम पर पंजीकृत है, तो मालिकाना हक़ भी पति के पास ही माना जाता है। ऐसी स्थिति में तलाक के बाद पत्नी सीधे उस संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती। उसकी मांग केवल भरण-पोषण के लिए हो सकती है। लेकिन अगर पत्नी ने उस संपत्ति की खरीद में आर्थिक योगदान दिया है तो उसे यह साबित करना होता है। इसके लिए जरूरी है कि उसके पास भुगतान के प्रमाण, बैंक स्टेटमेंट, चेक की रसीद या अन्य वित्तीय दस्तावेज मौजूद हों।

कोर्ट उन सबूतों के आधार पर पत्नी के दावे पर विचार करता है। इसलिए संपत्ति खरीदते समय आर्थिक योगदान के सारे दस्तावेज संभाल कर रखना बेहद जरूरी होता है। यदि महिला अपने आर्थिक योगदान को प्रमाणित कर पाती है, तो कोर्ट उसके दावे को मान सकता है और उसे कुछ हिस्सा दे सकता है। लेकिन बिना सबूत के दावा करना कठिन होता है।

संयुक्त संपत्ति में पत्नी के अधिकार

जब पति-पत्नी मिलकर या दोनों के नाम पर कोई संपत्ति खरीदी जाती है, तो उसे संयुक्त संपत्ति कहा जाता है। इस स्थिति में दोनों का उस संपत्ति पर बराबर का अधिकार होता है। तलाक या अन्य विवाद की स्थिति में दोनों पक्ष अपने-अपने हिस्से का दावा कर सकते हैं। अदालत यह भी देखती है कि दोनों में से किसने कितना आर्थिक योगदान दिया है।

यह भी पढ़े:
Private School Admission हाईकोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला! इन प्राइवेट स्कूलों की मान्यता होगी रद्द Private School Admission

अगर पत्नी के पास अपने हिस्से का उचित सबूत है, तो उसका दावा पूरी तरह से मान लिया जाएगा। अगर सबूत नहीं होते, तो दावा खारिज भी हो सकता है। इसलिए संयुक्त संपत्ति खरीदते समय सभी वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड और दस्तावेज संभाल कर रखना चाहिए। इससे बाद में किसी भी कानूनी विवाद में मदद मिलती है।

महत्वपूर्ण दस्तावेजों का संरक्षण

संपत्ति से जुड़ी हर चीज के कागजात सुरक्षित रखना बेहद जरूरी होता है। चाहे संपत्ति व्यक्तिगत हो या संयुक्त, सभी बैंक स्टेटमेंट, चेक की प्रतियां, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के प्रमाण और अन्य दस्तावेज व्यवस्थित रूप से रखे जाने चाहिए। ये दस्तावेज भविष्य में विवाद होने पर आपके दावे को मजबूत करते हैं।

कई बार पति-पत्नी आपसी सहमति से भी संपत्ति विवाद सुलझा लेते हैं। जैसे एक पक्ष दूसरे का हिस्सा खरीदकर पूरा मालिक बन सकता है। लेकिन यदि मामला कोर्ट तक जाता है, तो दस्तावेज ही आपकी सबसे बड़ी ताकत बनते हैं। इसलिए हर आर्थिक लेन-देन का सही रिकॉर्ड रखें।

यह भी पढ़े:
Ration Card News राशन कार्ड वालों के लिए बड़ी खुशखबरी – सरकार दे रही है 3 महीने का राशन एक साथ Ration Card News

तलाक की कार्यवाही के दौरान पत्नी के अधिकार

जब पति-पत्नी के बीच तलाक की प्रक्रिया चल रही होती है, तो कानूनी रूप से उनका वैवाहिक संबंध बना रहता है। इस दौरान पत्नी का पति की संपत्ति पर अधिकार भी बना रहता है। अगर पति तलाक के दौरान किसी दूसरी महिला के साथ रहता है या दूसरी शादी कर लेता है, तब भी पहली पत्नी और उसके बच्चों का पति की संपत्ति में पूर्ण अधिकार होता है।

यह कानून महिलाओं को धोखाधड़ी और अन्याय से बचाने के लिए बनाया गया है। तलाक के दौरान कोर्ट महिला और बच्चों के हितों की रक्षा को प्राथमिकता देता है। पत्नी को घर में रहने का भी अधिकार दिया जाता है ताकि वह बिना किसी असहायता के रह सके।

वसीयत और उत्तराधिकार के नियम

अगर पति बिना वसीयत के मृत्यु को प्राप्त होता है, तो पत्नी को उसकी संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलता है। लेकिन अगर पति ने वसीयत बनाकर अपनी संपत्ति किसी और के नाम कर दी है, तो पत्नी को उस संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता। वसीयत की वैधता पर निर्भर करता है कि पत्नी को कितना हिस्सा मिलेगा।

यह भी पढ़े:
RBI Loan Rules RBI ने जारी किये नए लोन नियम! अब इन लोगों को नहीं मिलेगा लोन RBI Loan Rules

इसके अलावा, खानदानी संपत्ति के मामले में भी पत्नी के अधिकार होते हैं और उसे ससुराल में रहने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। यह अधिकार भारतीय पारंपरिक और आधुनिक कानून दोनों में सुरक्षित हैं।

व्यावहारिक सुझाव और सावधानियां

संपत्ति के अधिकारों को लेकर विवाद से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले संपत्ति खरीदते समय दोनों के नाम पर पंजीकरण कराएं। इससे आपके अधिकार कानूनी रूप से सुरक्षित रहते हैं। आर्थिक योगदान के सारे दस्तावेज, जैसे बैंक स्टेटमेंट, चेक, रसीद आदि संभाल कर रखें।

अगर किसी बात को लेकर शक हो तो तुरंत कानूनी सलाह लें। महिलाओं को चाहिए कि वे अपने अधिकारों की पूरी जानकारी रखें और जरूरत पड़ने पर उनका सही तरीके से उपयोग करें। सही जानकारी से आप अपने हकों की रक्षा कर सकती हैं और किसी अन्याय का सामना नहीं करना पड़ेगा।

यह भी पढ़े:
DA Hike News सरकार का बड़ा ऐलान! कर्मचारियों को मिला 7% DA बढ़ोतरी का तोहफा DA Hike News

पति की खानदानी, व्यक्तिगत और संयुक्त संपत्ति में पत्नी के अलग-अलग अधिकार होते हैं। भारतीय कानून महिलाओं को न्याय देने की कोशिश करता है, लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए जरूरी है कि आप खुद अपने अधिकारों को जानें और उनकी रक्षा करें। सही जानकारी, दस्तावेज और कानूनी सलाह से आप अपने हकों को मजबूत कर सकती हैं।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे कानूनी सलाह न माना जाए। संपत्ति संबंधी मामलों में हमेशा विशेषज्ञ वकील से सलाह लेना आवश्यक है क्योंकि हर केस की परिस्थितियां अलग हो सकती हैं। संबंधित राज्य के नियमों और कानूनों की जांच करना भी जरूरी होता है।

यह भी पढ़े:
Bank Holidays अब सिर्फ 5 दिन खुलेंगे बैंक, 2 दिन की छुट्टी तय! जानिए नया नियम Bank Holidays

Leave a Comment