School Summer Vacation Cancel – गर्मी की छुट्टियों का नाम सुनते ही बच्चों से लेकर शिक्षकों तक हर किसी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। जैसे ही छुट्टियों का एलान होता है, बच्चे मस्ती के मूड में आ जाते हैं और शिक्षक भी राहत की सांस लेते हैं। ये वो वक्त होता है जब स्कूल की भाग-दौड़ से दूर हर कोई थोड़ा आराम करना चाहता है। लेकिन इस बार कुछ ऐसा हो गया है जिसने शिक्षकों की सारी प्लानिंग पर पानी फेर दिया है। राजस्थान के कई जिलों में शिक्षकों की गर्मी की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और अब उन्हें छुट्टियों के बीच में ही स्कूल लौटना पड़ रहा है।
रिजल्ट और प्रशासनिक काम बने वजह
असल में कुछ दिन पहले ही 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे घोषित हुए हैं और अब 5वीं कक्षा तक के रिजल्ट भी जारी हो चुके हैं। ऐसे में स्कूलों में रिजल्ट से जुड़े कागजी काम, रिपोर्ट कार्ड तैयार करना और नए सत्र की तैयारियां जैसी जिम्मेदारियों को निपटाने के लिए शिक्षकों को वापस स्कूल बुला लिया गया है। प्राइवेट स्कूलों में तो साफ कह दिया गया है कि सभी शिक्षक समय पर स्कूल आएं और अपना सारा काम निपटाएं। इस फैसले की वजह से कई शिक्षक जो छुट्टियों का मजा ले रहे थे, उन्हें अचानक से अपना सारा सामान समेटकर वापसी करनी पड़ी है।
तेज गर्मी में स्कूल आना मुश्किल
अब सोचिए जब तापमान 45 डिग्री के पार हो और ऐसे मौसम में अचानक छुट्टियां रद्द कर दी जाएं तो किसी का भी मूड खराब हो सकता है। राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी में स्कूल जाना किसी सजा से कम नहीं लग रहा। कुछ जिलों में हल्की फुहारों से थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन दोपहर की तेज धूप और उमस में स्कूल की ओर निकलना किसी जंग लड़ने से कम महसूस नहीं होता। बच्चों को तो फिलहाल आराम है लेकिन शिक्षकों की हालत खराब हो रही है।
इन जिलों में हुआ सबसे ज्यादा असर
राजस्थान के डीडवाना, नागौर, सीकर और चूरू जैसे जिलों में शिक्षकों को गर्मी की छुट्टियों के बीच भी स्कूल बुलाया जा रहा है। शिक्षा विभाग की ओर से आदेश जारी किए गए हैं कि रिजल्ट तैयार करने, रिपोर्ट कार्ड बांटने और स्कूल के अन्य जरूरी काम पूरे करने के लिए सभी शिक्षक स्कूल आएं। इस आदेश के बाद से ही कई शिक्षक नाराज हैं। उनका कहना है कि जब बच्चे स्कूल नहीं आ रहे तो फिर शिक्षकों को भी घर पर ही रहने दिया जाए। लेकिन प्रशासन का तर्क है कि नए सत्र की तैयारी समय से पूरी होनी चाहिए ताकि कोई देरी न हो।
शिक्षकों का फूटा गुस्सा
शिक्षकों की मानें तो सालभर पढ़ाने के बाद गर्मी की छुट्टियां एक मौका होता है जब वे मानसिक और शारीरिक रूप से थोड़ा ब्रेक ले पाते हैं। इस दौरान न सिर्फ वे परिवार के साथ समय बिताते हैं बल्कि अपनी ऊर्जा भी वापस पाते हैं। लेकिन अब जब बीच में ही छुट्टियां तोड़कर स्कूल जाना पड़ रहा है, तो ना सिर्फ थकान बढ़ रही है बल्कि चिढ़ भी हो रही है। कुछ शिक्षकों ने यह सुझाव भी दिया कि अगर कोई काम बहुत जरूरी है तो उसे ऑनलाइन या सीमित समय में पूरा कराया जाए, ताकि शिक्षक भी चैन की सांस ले सकें।
बच्चों की छुट्टियां अभी बरकरार
बच्चों के लिए अभी तक राहत की बात है कि उनकी छुट्टियों पर कोई असर नहीं पड़ा है। वे अभी आराम से छुट्टियों का आनंद ले रहे हैं। कोई अपने ननिहाल गया है, कोई टीवी और मोबाइल में बिजी है तो कोई दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा है। लेकिन जब स्कूलों में कामकाज शुरू हो चुका है तो यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि बच्चों की छुट्टियां भी तय समय से पहले खत्म हो सकती हैं।
सोच-समझकर लिए जाएं ऐसे फैसले
गर्मी की छुट्टियों में स्कूल बुलाना एक ऐसा फैसला है जिसे लेकर दो तरह की राय बन गई है। एक तरफ प्रशासनिक ज़रूरतें हैं, तो दूसरी तरफ शिक्षकों का आराम और मानसिक स्वास्थ्य। खासकर राजस्थान जैसे राज्य में जहां गर्मी जानलेवा हो सकती है, वहां इस तरह के फैसले पर गंभीरता से विचार करना जरूरी हो जाता है। उम्मीद यही की जा सकती है कि आने वाले समय में शिक्षकों की सुविधाओं और जरूरतों का ख्याल रखते हुए ऐसे फैसले लिए जाएंगे ताकि वे अपनी ड्यूटी भी अच्छे से निभा सकें और खुद को भी संभाल सकें।
Disclaimer
इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न समाचार स्रोतों और सोशल मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। लेख का उद्देश्य केवल सूचना देना है, न कि किसी सरकारी आदेश की पुष्टि करना। कृपया किसी भी निर्णय से पहले संबंधित शिक्षा विभाग या स्थानीय प्रशासन की आधिकारिक सूचना अवश्य देखें।