RBI Loan Rules – जब भी हमें पैसों की जरूरत होती है तो अक्सर हम लोन लेने के बारे में सोचते हैं। खासकर तब जब अचानक कोई बड़ी आर्थिक जरूरत आ जाए या कोई जरूरी काम हो। अगर आप भी लोन लेने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने लोन से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जो खासतौर पर गोल्ड लोन से जुड़ा है। इस नए नियम के तहत कुछ खास लोगों को अब लोन मिलना मुश्किल होगा। चलिए विस्तार से समझते हैं क्या है ये नया नियम और क्यों इसे लागू किया गया है।
गोल्ड लोन के नियमों में आरबीआई का नया दिशा निर्देश
आरबीआई ने गोल्ड लोन को लेकर नई दिशा निर्देश जारी की है। अब बैंक और फाइनेंस कंपनी केवल सोने के गहनों या बैंक द्वारा जारी किए गए सोने के सिक्कों के बदले ही गोल्ड लोन दे सकेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि अब सोने के बदले बुलियन (साफ सोना) या ई-गोल्ड जैसे डिजिटल सोने के बदले गोल्ड लोन नहीं मिलेगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि गोल्ड लोन का कारोबार और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जा सके। अब जिनके पास सोने के असली आभूषण या सिक्के होंगे, वे ही गोल्ड लोन के लिए आवेदन कर पाएंगे।
सरकार और वित्त मंत्रालय की प्रतिक्रिया
आरबीआई के इस फैसले के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक चिट्ठी लिखकर अपनी चिंता जताई है। उनका कहना है कि ये नए नियम गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए बैंक लोन तक पहुंच को प्रभावित कर सकते हैं। क्योंकि ज्यादातर लोग अपने तात्कालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए गोल्ड लोन का सहारा लेते हैं, खासकर वे लोग जिनके पास अन्य प्रकार की संपत्ति नहीं होती। इसलिए वित्त मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि ₹2,00,000 तक के गोल्ड लोन को इस नए नियम से कुछ छूट दी जाए और इसे 1 जनवरी 2026 से लागू किया जाए। इससे बैंकों और लोन लेने वालों दोनों को नियम अपनाने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।
क्यों बदलाव कर रहा है आरबीआई गोल्ड लोन नियम?
आरबीआई ने गोल्ड लोन के नियमों में बदलाव इसलिए किया है क्योंकि हाल के समय में सोने के बदले लोन लेने की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। भारत में सोने की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। वर्तमान में 24 कैरेट सोने की कीमत लगभग 95,760 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब है, जबकि 22 कैरेट सोने की कीमत लगभग 87,780 रुपये प्रति 10 ग्राम पर है। ऐसे में सोने के आधार पर दिए जाने वाले लोन की संख्या और उसकी वैल्यू भी बढ़ती जा रही है। लेकिन इसी के साथ कई बार ऐसा होता है कि लोग लोन वापस नहीं कर पाते हैं, जिससे बैंक और वित्तीय संस्थानों को नुकसान होता है।
एनपीए बढ़ने का खतरा और बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा
जब कोई लोन चुकता नहीं कर पाता, तो वह लोन एनपीए (Non-Performing Asset) यानी खराब कर्ज की श्रेणी में आ जाता है। एनपीए बढ़ने से बैंक की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है और वह नए लोन देने में भी सतर्क हो जाते हैं। इसलिए आरबीआई ने सोने के बदले लोन देने में सख्ती करने का निर्णय लिया है ताकि न केवल बैंक के पैसे सुरक्षित रहें, बल्कि लोन लेने वाले भी अपनी जिम्मेदारी समझें और समय पर भुगतान करें।
गोल्ड लोन की बढ़ती मांग और जोखिम
गोल्ड लोन की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है क्योंकि यह जल्दी मिलता है और प्रक्रिया भी अपेक्षाकृत आसान होती है। लेकिन इस मांग के साथ जोखिम भी बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए आरबीआई ने नियमों को कड़ा कर दिया है ताकि इस क्षेत्र में ज्यादा पारदर्शिता आए और धोखाधड़ी से बचा जा सके। इसके अलावा इससे बैंकों को भी अपनी जोखिम प्रबंधन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
किसे अब गोल्ड लोन नहीं मिलेगा?
यह नया नियम उन लोगों के लिए खास है जिनके पास सोने के असली आभूषण या बैंक के जारी किए हुए सिक्के नहीं हैं। अब वे लोग गोल्ड लोन के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे। हालांकि, यह कदम वित्तीय सुरक्षा और बैंकिंग व्यवस्था की मजबूती के लिए जरूरी माना जा रहा है।
अगर आप गोल्ड लोन लेने की सोच रहे हैं, तो अब आपके पास सोने के वास्तविक आभूषण या बैंक द्वारा जारी किए गए सिक्के होना जरूरी है। साथ ही ₹2,00,000 तक के गोल्ड लोन के लिए फिलहाल थोड़ी राहत दी जा सकती है, लेकिन यह नियम 1 जनवरी 2026 से पूरी तरह लागू हो जाएगा। इसलिए इस नए नियम को समझकर अपने वित्तीय फैसले लेना जरूरी है।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के लिए बनाया गया है और इसमें दी गई जानकारी समय-समय पर बदल सकती है। लोन से जुड़ी कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले अपने नजदीकी बैंक या वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें। इससे आपको अपनी जरूरत के हिसाब से सही जानकारी और सलाह मिल सकेगी।