Petrol Diesel Price – देशभर के लोगों को एक ही बात का इंतजार है – कब सस्ता होगा पेट्रोल और डीजल? तेल की बढ़ती कीमतों ने पहले से ही आम आदमी की जेब पर दबाव बढ़ा दिया है, ऐसे में जब भी कीमत घटाने की कोई खबर आती है, उम्मीदें भी बढ़ जाती हैं. लेकिन इस बार सरकार ने साफ कर दिया है कि वो कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेने वाली.
सरकार फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ मोड में है
भारत सरकार इस वक्त ‘वेट एंड वॉच’ की नीति पर काम कर रही है. यानी फिलहाल कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय हालातों को ध्यान से देखा जा रहा है. खासकर अमेरिका और रूस के बीच चल रही नीतिगत खींचतान पर सरकार की नजर है. दरअसल भारत की कच्चे तेल की जरूरत का बड़ा हिस्सा रूस से आता है, और वो भी रियायती दरों पर. ऐसे में अगर अमेरिका की तरफ से रूस के तेल पर कोई नया टैक्स या टैरिफ लगाया जाता है, तो भारत को मिलने वाला सस्ता तेल महंगा हो सकता है.
कीमत घटाने से पहले होगा गहराई से विश्लेषण
एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटाने से पहले सभी पहलुओं का गहराई से विश्लेषण कर रही है. सरकार के पास अभी कुछ पॉलिसी ऑप्शन हैं, लेकिन कोई भी कदम तभी उठाया जाएगा जब वैश्विक संकेत साफ होंगे. जब तक अमेरिका की ओर से रूस के तेल पर टैरिफ को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक भारत कोई पक्का फैसला नहीं करेगा.
रूस से आने वाले तेल पर सब कुछ निर्भर
भारत इस समय रूस से करीब 35% कच्चा तेल आयात करता है. यही वो तेल है जो भारत को अन्य देशों की तुलना में सस्ते रेट पर मिल रहा है. लेकिन अगर अमेरिका की तरफ से रूस पर कोई सख्त फैसला आता है, तो भारत को यह तेल महंगा मिल सकता है या सप्लाई ही रुक सकती है. ऐसे में तेल कंपनियों को अन्य विकल्पों की ओर देखना पड़ेगा, जो महंगे साबित हो सकते हैं.
OPEC ने बढ़ाई सप्लाई, लेकिन भारत ने नहीं लिया कोई फैसला
वैश्विक स्तर पर तेल की सप्लाई में कोई कमी नहीं है. OPEC (ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) ने 1.2 मिलियन बैरल प्रति दिन की सप्लाई बढ़ा दी है. इसके बावजूद भारत सरकार ने कीमतों में कोई कटौती नहीं की है. वजह ये है कि सरकार इस बार ज्यादा सतर्क नजर आ रही है. ऊर्जा बाजार में जो अनिश्चितता बनी हुई है, उसे देखते हुए कोई भी कदम पूरी समझदारी से उठाया जाएगा.
तेल कंपनियों की रणनीति पर भी टिकी हैं उम्मीदें
भारत की तेल कंपनियां तेल के सोर्स में काफी विविधता ला चुकी हैं. यानी वे सिर्फ एक देश पर निर्भर नहीं हैं. लेकिन फिर भी अगर रूस से तेल मिलना बंद हो गया, तो बाकी विकल्प महंगे साबित हो सकते हैं. ऐसे में कीमतों को नीचे लाना कंपनियों के लिए मुश्किल होगा. इसके साथ ही अगर ग्लोबल पॉलिटिक्स और टैंशन बढ़ता है, तो रियायती तेल तक पहुंच और भी मुश्किल हो सकती है.
फिलहाल तुरंत राहत की कोई उम्मीद नहीं
साफ तौर पर कहा जाए तो फिलहाल पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई तात्कालिक राहत नहीं मिलने वाली. हां, आने वाले हफ्तों में अगर अमेरिका की नीति में कोई बड़ा बदलाव आता है, या वैश्विक तेल बाजार स्थिर होता है, तो सरकार इस दिशा में कदम उठा सकती है. अभी सरकार पूरी नजर अमेरिका और रूस की स्थिति पर बनाए हुए है.
तो अगर आप सोच रहे हैं कि अगले हफ्ते से पेट्रोल-डीजल सस्ता मिलने लगेगा, तो अभी थोड़ा इंतजार करना होगा. सरकार कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेना चाहती. सब कुछ अंतरराष्ट्रीय बाजार, अमेरिका की नीति और रूस से तेल की उपलब्धता पर निर्भर करेगा.
Disclaimer
इस लेख में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स और सरकारी बयानों पर आधारित है. इसमें दी गई बातें संभावनाओं और नीतिगत संकेतों पर आधारित हैं. वास्तविक स्थिति समय और सरकार के अंतिम निर्णय के अनुसार बदल सकती है. पाठकों से अनुरोध है कि कोई भी वित्तीय निर्णय लेते समय आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि अवश्य करें.