Online Land Registry – उत्तर प्रदेश में जमीन रजिस्ट्री से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव हुआ है, जो न केवल जमीन खरीदने-बेचने की प्रक्रिया को आसान बनाएगा बल्कि इसमें होने वाले फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी पर भी लगाम लगाएगा। सरकार अब जमीन की रजिस्ट्री को पूरी तरह डिजिटल करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आम आदमी को न तो बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ेंगे और न ही बिचौलियों के चंगुल में फंसना पड़ेगा।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को मिली मंजूरी
अभी तक देशभर में जो रजिस्ट्रेशन कानून लागू था, उसमें राज्यों को बदलाव करने का अधिकार जरूर था, लेकिन इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार से परामर्श लेना जरूरी होता था। कई राज्यों ने पहले ही इसमें बदलाव कर अपने यहां ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। अब केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि देशभर में एक समान और मजबूत रजिस्ट्रेशन सिस्टम तैयार किया जाए, जिससे लोगों को एक पारदर्शी और भरोसेमंद व्यवस्था मिल सके।
केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया यह नया मसौदा कानून 117 साल पुराने Registration Act की जगह लेगा। इसमें एग्रीमेंट टू सेल, पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल सर्टिफिकेट और इक्विटेबल मॉर्गेज जैसे जरूरी दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया जाएगा। यानी अब बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी डॉक्यूमेंट कानूनी रूप से मान्य नहीं माना जाएगा।
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आधार से होगी पहचान की पुष्टि
इस नई व्यवस्था में आधार आधारित सत्यापन सिस्टम को भी शामिल किया गया है। यानी रजिस्ट्री करवाने वाले व्यक्ति की पहचान आधार के जरिए सुनिश्चित की जाएगी। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति आधार नंबर साझा नहीं करना चाहता, तो उसके लिए सरकार ने वैकल्पिक पहचान सत्यापन का प्रावधान भी रखा है। यह सिस्टम इस बात की गारंटी देगा कि जमीन की रजिस्ट्री में फर्जी दस्तावेज या फर्जी पहचान का इस्तेमाल न हो सके।
इससे जमीन खरीदने और बेचने वाले दोनों ही पक्षों को सुरक्षा का एहसास होगा और एक भरोसेमंद वातावरण तैयार होगा। साथ ही, इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में किसी तरह की धोखाधड़ी या जालसाजी की कोई गुंजाइश न रहे।
डिजिटल सर्टिफिकेट और ई-प्रेजेंटेशन की सुविधा
अब जो भी दस्तावेज रजिस्ट्री के लिए जमा किए जाएंगे, उन्हें पूरी तरह ऑनलाइन ही प्रोसेस किया जाएगा। रजिस्ट्रेशन के बाद नागरिकों को डिजिटल सर्टिफिकेट तुरंत जारी किया जाएगा, जिससे उन्हें किसी भी सरकारी या कानूनी काम में आसानी होगी। इसके लिए अब रजिस्ट्री ऑफिस के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।
सरकार की योजना है कि सभी दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में संग्रहित किया जाए ताकि कोई भी जरूरत पड़ने पर उन्हें आसानी से डाउनलोड कर सके और भविष्य में उनकी प्रमाणिकता पर कोई सवाल न उठे।
धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम
इस पूरे बदलाव का मकसद सिर्फ डिजिटल करना नहीं है, बल्कि जमीन के लेन-देन में होने वाले फर्जीवाड़ों और धोखाधड़ी को खत्म करना भी है। अक्सर देखा गया है कि पुराने दस्तावेजों को लेकर विवाद खड़े होते हैं, कई बार एक ही जमीन कई लोगों को बेच दी जाती है, या फिर नकली दस्तावेजों के जरिए लोगों को ठग लिया जाता है। लेकिन इस नई डिजिटल व्यवस्था के बाद इस तरह की घटनाओं में भारी कमी आएगी।
डिजिटल सिग्नेचर और इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्री का इस्तेमाल होने से सारी प्रक्रिया रिकॉर्ड में रहेगी और जरूरत पड़ने पर उसका डिजिटल सबूत भी आसानी से हासिल किया जा सकेगा।
आम जनता से मांगे गए सुझाव
भूमि संसाधन विभाग ने इस मसौदा कानून को जनता के सामने भी रखा है ताकि आम लोग भी अपने सुझाव दे सकें। सरकार चाहती है कि यह कानून ऐसा हो जो न केवल तकनीकी रूप से मजबूत हो, बल्कि लोगों की समस्याओं और जरूरतों को भी ध्यान में रखे। इसलिए सभी नागरिकों से आग्रह किया गया है कि वे इस पर अपनी राय जरूर रखें।
इस बात में कोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ वर्षों में तकनीक ने हमारी जिंदगी को काफी हद तक आसान किया है। ऐसे में जमीन रजिस्ट्री जैसी अहम प्रक्रिया को भी डिजिटल करना समय की जरूरत बन चुका है। इससे न सिर्फ प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि इसमें पारदर्शिता भी आएगी और लोगों का सरकारी तंत्र पर भरोसा और मजबूत होगा।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है और इसमें दी गई जानकारियां सरकारी मसौदा विधेयक के आधार पर हैं। अंतिम नियमों और शर्तों में बदलाव संभव है। जमीन खरीदने या बेचने से पहले संबंधित सरकारी विभाग से आधिकारिक जानकारी अवश्य प्राप्त करें।
