पत्नी के गोल्ड और पैसों पर पति के हक्क को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला Husband Property Rights

By Prerna Gupta

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Husband Property Rights

Husband Property Rights – भारतीय समाज में शादी के दौरान महिलाओं को जो सोना, कपड़े, बर्तन और अन्य गिफ्ट मिलते हैं, उन्हें स्त्रीधन कहा जाता है। ये परंपरा सदियों पुरानी है और इसका मकसद महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देना था। शादी के वक्त दुल्हन को मिलने वाले ये उपहार उसकी अपनी संपत्ति माने जाते हैं। लेकिन अक्सर लोग ये सोचते हैं कि शादी के बाद पति या ससुराल वालों को भी इन चीज़ों पर अधिकार हो जाता है।

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असल में ये एक बड़ी गलतफहमी है। कई घरों में ये माना जाता है कि स्त्रीधन परिवार की साझा संपत्ति है, जिससे महिलाओं को अपनी ही संपत्ति पर हक जताने में दिक्कत आती है। इस भ्रम को दूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि स्त्रीधन महिला की निजी संपत्ति है और पति का उस पर कोई अधिकार नहीं होता।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: पति का स्त्रीधन पर कोई अधिकार नहीं

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिलाओं के लिए बहुत बड़ा और जरूरी है क्योंकि इससे उनके आर्थिक अधिकार मजबूत होंगे। कोर्ट ने साफ कहा है कि शादी के दौरान या शादी के बाद महिलाओं को जो भी स्त्रीधन मिलता है, वह पूरी तरह उनकी अपनी संपत्ति होती है। पति या ससुराल वालों का उस संपत्ति पर कोई कानूनी हक नहीं होता। महिला अपनी मर्जी से इसे इस्तेमाल कर सकती है, बेच सकती है या निवेश कर सकती है। इसका स्वामित्व केवल महिला के पास होता है। ये फैसला उन लोगों की सोच को चुनौती देता है जो महिलाओं को आर्थिक रूप से कमजोर बनाए रखना चाहते हैं।

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पति के स्त्रीधन का उपयोग करने की शर्तें

न्यायालय ने यह भी बताया है कि पति शादी के बाद स्त्रीधन का उपयोग केवल तब कर सकता है जब महिला उसकी अनुमति दे। किसी भी परिस्थिति में पति बिना पत्नी की सहमति के स्त्रीधन का इस्तेमाल नहीं कर सकता। अगर परिवार में आर्थिक तंगी आ जाए और पति स्त्रीधन का उपयोग करना चाहे, तो उसे पत्नी की पूरी सहमति लेना ज़रूरी है। यह सहमति जबरदस्ती नहीं हो सकती। साथ ही, पति की यह जिम्मेदारी भी है कि जैसे ही आर्थिक समस्या दूर हो, वह स्त्रीधन वापस कर दे। यह केवल अस्थायी उपयोग माना जाता है, स्थायी स्वामित्व नहीं।

महिला की आर्थिक स्वतंत्रता और निर्णय का अधिकार

महिलाओं को अपने स्त्रीधन को लेकर पूरी आज़ादी मिलती है कि वे अपनी जरूरत के हिसाब से इसका इस्तेमाल करें। चाहे वह इसे बेचना हो, कहीं निवेश करना हो या भविष्य के लिए संभाल कर रखना हो, यह फैसला यह स्पष्ट करता है कि परिवार के किसी भी सदस्य को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है। इससे महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ेगी और वे आत्मनिर्भर बनेंगी। वह अपने पैसों का इस्तेमाल अपनी पढ़ाई, स्वास्थ्य, व्यवसाय या किसी भी जरूरत के लिए कर सकती हैं, बिना किसी से अनुमति लिए।

स्त्रीधन के दुरुपयोग के खिलाफ कानूनी सुरक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि अगर कोई महिला की सहमति के बिना उसके स्त्रीधन का गलत इस्तेमाल करता है, तो वह कानून के खिलाफ होगा। ऐसे मामलों में महिला पुलिस में शिकायत कर सकती है और न्यायालय से मदद मांग सकती है। स्त्रीधन की चोरी, छुपाने या गलत उपयोग के खिलाफ कड़े कानूनी प्रावधान हैं। यह फैसला महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ने और अपने धन की रक्षा करने का हौसला देता है।

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सामाजिक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम

यह फैसला समाज में भी एक बड़ा बदलाव लाने वाला है। अब परिवारों को समझना होगा कि महिलाओं का स्त्रीधन उनकी निजी संपत्ति है, न कि परिवार की साझा वस्तु। यह सोच महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें बराबरी का दर्जा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे आने वाली पीढ़ी की महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर ज्यादा जागरूक और आत्मविश्वासी होंगी।

यह फैसला न केवल कानूनी रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी महिलाओं की स्थिति मजबूत करेगा। पुरानी रूढ़िवादी सोच को तोड़ते हुए यह महिलाओं को उनकी मेहनत की कमाई और उपहारों पर पूरा हक देता है। इस फैसले से महिलाओं का आत्मसम्मान बढ़ेगा और वे अपने जीवन में बेहतर फैसले लेने में सक्षम होंगी। इस फैसले के चलते भारतीय समाज में लैंगिक समानता और न्याय की भावना भी मजबूत होगी।

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यह लेख सिर्फ जानकारी देने के लिए है। स्त्रीधन या संबंधित किसी भी कानूनी मामले में विशेषज्ञ वकील से सलाह लेना जरूरी है। कोर्ट के फैसले और कानून की व्याख्या जटिल हो सकती है, इसलिए व्यक्तिगत मामले में सही निर्णय के लिए कानूनी सलाह लें।

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