खेती की जमीन बेचने पर इतना देना पड़ेगा टैक्स, जानिए नए इनकम टैक्स नियम Farm Land Income Tax

By Prerna Gupta

Published On:

Farm Land Income Tax

Farm Land Income Tax – गांव-देहात में खेती की जमीन हमारे लिए एक बड़ी संपत्ति होती है। कई बार हमें अपनी जरूरतों के लिए खेती की जमीन बेचनी पड़ती है, या फिर लोग निवेश के तौर पर जमीन खरीदते और बेचते भी हैं। लेकिन जब बात आती है जमीन बेचकर होने वाले मुनाफे पर टैक्स देने की, तो लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं। कितना टैक्स देना होगा, कब देना होगा, क्या टैक्स लगना ही नहीं चाहिए? इस कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए जरूरी है कि हम इनकम टैक्स कानून को समझें। आइए जानते हैं खेती की जमीन बेचने पर इनकम टैक्स से जुड़े नियम क्या हैं।

योजना के लिए आवेदन करें

खेती की जमीन के दो मुख्य प्रकार

खेती की जमीन दो तरह की होती है – रूरल फार्म लैंड (ग्रामीण क्षेत्र की खेती की जमीन) और अर्बन फार्म लैंड (शहरी या कस्बाई क्षेत्र की खेती की जमीन)। रूरल जमीन वह होती है जो गांवों में होती है और जहां की आबादी कम होती है। वहीं, अर्बन जमीन वह होती है जो शहरों या कस्बों के आसपास होती है, जहां आबादी ज्यादा होती है। इन दोनों के टैक्स नियम अलग-अलग होते हैं। इसलिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आपकी जमीन किस श्रेणी में आती है।

इनकम टैक्स एक्ट में कृषि भूमि की परिभाषा

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 2(14) के अनुसार, अगर कोई जमीन म्युनिसिपालिटी, कंटेनमेंट बोर्ड, टाउन एरिया कमेटी या अन्य प्रशासनिक क्षेत्र के अंतर्गत आती है और उसकी आबादी कुछ विशेष सीमा से अधिक होती है, तो उसे कृषि भूमि नहीं माना जाता। उदाहरण के लिए, अगर किसी इलाके की आबादी 10,000 से 1 लाख के बीच है, तो उसके आसपास 2 किलोमीटर तक की जमीन कृषि भूमि नहीं मानी जाएगी। इसी तरह, आबादी 1 लाख से 10 लाख के बीच होने पर आसपास 6 किलोमीटर, और 10 लाख से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में 8 किलोमीटर तक की जमीन को भी कृषि भूमि नहीं माना जाता। ऐसे इलाकों की जमीन अर्बन एग्रीकल्चर लैंड की श्रेणी में आती है।

यह भी पढ़े:
Ladli Behna Yojana 25th Installment लाडली बहनों के लिए बड़ी खुशखबरी! 25वीं किस्त की तारीख घोषित Ladli Behna Yojana 25th Installment

रूरल खेती की जमीन पर टैक्स क्यों नहीं लगता?

यदि आपकी जमीन रूरल एग्रीकल्चर लैंड यानी ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि में आती है, तो इसे आयकर कानून के तहत कैपिटल एसेट नहीं माना जाता। इसका मतलब यह हुआ कि इस तरह की जमीन को बेचने पर आपको कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना पड़ता। इसलिए, अगर आपने गांव की जमीन खरीदी है और उसे बेच रहे हैं तो उस मुनाफे पर सरकार को कोई टैक्स नहीं देना होगा। यह किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए एक बड़ी राहत की बात है।

अर्बन खेती की जमीन बेचने पर टैक्स देना क्यों पड़ता है?

लेकिन अगर आपकी जमीन अर्बन एग्रीकल्चर लैंड में आती है, तो इसे कैपिटल एसेट माना जाता है और इस पर टैक्स देना पड़ता है। अर्बन जमीन बेचकर होने वाले मुनाफे पर आपको कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है। अब यह टैक्स दो प्रकार के होते हैं – शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन।

शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में क्या फर्क है?

अगर आपने जमीन को 2 साल से कम समय तक रखा है और फिर बेच दिया है, तो इससे होने वाला लाभ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगेगा, यानी आपकी आय के अनुसार टैक्स दर अलग-अलग हो सकती है।

यह भी पढ़े:
Gold Rate Today अगले 2 महीनों में सोने की कीमतों में आएगी सबसे बड़ी गिरावट Gold Rate Today

वहीं, अगर आपने जमीन को 2 साल या उससे अधिक समय तक रखा है और फिर बेचा है, तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाता है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स दर लगभग 20% होती है, जिसमें इंडेक्सेशन का लाभ भी मिलता है। इंडेक्सेशन से आपके निवेश की कीमत महंगाई के अनुसार बढ़ जाती है, जिससे आपका टैक्स कम लगता है।

जमीन बेचने के वक्त किन बातों का खास ध्यान रखें?

जब आप खेती की जमीन बेचने का सोच रहे हों, तो सबसे पहले यह देखें कि आपकी जमीन रूरल है या अर्बन। अगर रूरल है तो टैक्स की चिंता न करें, क्योंकि उस पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता। अगर अर्बन है, तो 2 साल के नियम को ध्यान में रखें ताकि ज्यादा टैक्स न देना पड़े।

इसके अलावा, जमीन के साथ कोई इमारत या अन्य संपत्ति जुड़ी है तो उसके लिए अलग नियम लागू हो सकते हैं। जमीन बेचते समय सभी कागजात सही तरह से तैयार रखें। इसके साथ ही आप एक चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें ताकि कोई गलती न हो।

यह भी पढ़े:
Toll Plaza Rule वाहन चालकों के लिए बड़ी राहत! NHAI ने टोल प्लाजा नियम में किया बड़ा बदलाव Toll Plaza Rule

क्या जमीन बेचने पर GST या अन्य टैक्स भी देना पड़ता है?

खेती की जमीन बेचने पर आमतौर पर GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) नहीं लगता है। GST उन सेवाओं और वस्तुओं पर लगता है जो व्यापारिक या वाणिज्यिक हैं। जमीन की बिक्री पर GST तब लागू होता है जब आप जमीन को कमर्शियल उद्देश्य के लिए बेच रहे हों या जमीन विकास से जुड़ा हो। आमतौर पर खेती की जमीन बेचने पर सिर्फ इनकम टैक्स का ध्यान रखना पड़ता है।

खेती की जमीन बेचने का सही तरीका

खेती की जमीन बेचते वक्त सबसे पहले जमीन के कागजात चेक करें कि वे साफ़-सुथरे और कानूनी रूप से पूरी तरह से आपके नाम पर हैं। जमीन की बाजार कीमत का सही अनुमान लगाएं ताकि आपको सही मुनाफा मिले। जमीन की बिक्री से पहले उसके टैक्स नियम समझें और सही समय पर बेचने की योजना बनाएं। टैक्स बचाने के लिए जमीन को 2 साल से ज्यादा समय तक रखना फायदेमंद होता है।

खेती की जमीन बेचने पर इनकम टैक्स का नियम जमीन के प्रकार (रूरल या अर्बन) और आपके द्वारा जमीन रखने की अवधि पर निर्भर करता है। रूरल जमीन पर आपको टैक्स नहीं देना होता, जबकि अर्बन जमीन बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है। इसलिए जमीन बेचते समय इन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है ताकि आप अनावश्यक टैक्स से बच सकें और अपनी कमाई का सही इस्तेमाल कर सकें।

यह भी पढ़े:
Petrol Diesel Price सस्ता हुआ पेट्रोल-डीजल जानिए आज के नए रेट्स Petrol Diesel Price

डिस्क्लेमर

यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। टैक्स नियम समय-समय पर बदल सकते हैं, इसलिए जमीन बेचने से पहले किसी प्रमाणित चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स सलाहकार से सलाह अवश्य लें। यह लेख आपकी विशेष स्थिति के अनुसार निर्णय लेने का विकल्प नहीं देता।

यह भी पढ़े:
Senior Citizens Pension Scheme सरकार ने लॉन्च की बड़ी योजना, बुजुर्गों को मिलेगी हर महीने ₹3,000 की पेंशन Senior Citizens Pension Scheme

Leave a Comment

Join Whatsapp Group