दादा की संपत्ति में पोते का हक तय! जानिए कब मिलता है पूरा अधिकार Ancestral Property Rights

By Prerna Gupta

Published On:

Ancestral Property Rights

Ancestral Property Rights – भारत में जब भी संपत्ति का ज़िक्र होता है, तो सबसे ज्यादा विवाद पैतृक संपत्ति को लेकर ही देखने को मिलते हैं। खासकर तब जब पोता दावा करता है कि उसे अपने दादा या पिता की संपत्ति में हक चाहिए। लेकिन क्या वाकई पोते को हर हाल में हिस्सा मिल जाता है? क्या बिना वसीयत के भी वह संपत्ति का अधिकारी बन जाता है? इस लेख में हम इन्हीं सवालों का जवाब देंगे, वो भी सरल और आपकी भाषा में।

योजना के लिए आवेदन करें

पैतृक संपत्ति किसे कहते हैं?

सबसे पहले समझिए कि पैतृक संपत्ति होती क्या है। अगर आपके दादा ने अपने पिता यानी परदादा से कोई ज़मीन या संपत्ति बिना किसी वसीयत के पाई हो और वो संपत्ति आगे भी बिना बंटवारे के चलती आ रही हो, तो वो पैतृक मानी जाती है। इसमें चार पीढ़ियों की बात होती है – परदादा, दादा, पिता और आप। मतलब अगर दादा को जो संपत्ति मिली वो उनके खुद के द्वारा नहीं खरीदी गई थी और उसमें कभी भी पारिवारिक बंटवारा नहीं हुआ, तो वो संपत्ति पैतृक मानी जाएगी और उसमें पोते का हक बनता है।

कब बनता है पोते का हक?

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार अगर संपत्ति पैतृक है, तो पोते का उसमें जन्म से ही अधिकार बन जाता है। यानी जिस दिन पोते का जन्म होता है, उसी दिन से वह उस संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी बन जाता है। अब अगर पिता जीवित हैं, तो पोता उनके हिस्से पर दावा नहीं कर सकता जब तक कि पिता खुद उसे ना दें या किसी तरह का ट्रांसफर न हो। लेकिन अगर पिता की मृत्यु हो चुकी है, तो पोता सीधे तौर पर पिता के हिस्से का वारिस बन जाता है।

यह भी पढ़े:
Loan Prepayment Rules लोन समय से पहले चुकाया और फिर भी देना पड़ा जुर्माना – वजह जानकर चौंक जाएंगे Loan Prepayment Rules

किन शर्तों पर मिलता है पोते को हिस्सा?

सबसे जरूरी बात ये है कि संपत्ति वाकई पैतृक होनी चाहिए। अगर वो संपत्ति दादा या पिता ने खुद मेहनत से खरीदी है, तो उसे स्वअर्जित संपत्ति कहा जाएगा, और उसमें पोते का कोई जन्मजात हक नहीं बनता। दूसरा, अगर संपत्ति का पहले ही बंटवारा हो चुका है और उसके बाद वो पिता के नाम पर ट्रांसफर हो गई हो, तो भी वो संपत्ति अब पैतृक नहीं रही बल्कि स्वअर्जित मानी जाएगी। तीसरा, ये कानून केवल हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख समुदाय पर लागू होता है, अन्य धर्मों में अलग प्रावधान हो सकते हैं।

क्या वसीयत से पोते का हक खत्म हो सकता है?

अगर बात पैतृक संपत्ति की हो, तो दादा कोई भी वसीयत बनाकर पोते को संपत्ति से पूरी तरह वंचित नहीं कर सकते। क्योंकि इसमें पोते का हक जन्म से होता है। लेकिन अगर संपत्ति स्वअर्जित है, तो दादा को पूरा हक होता है कि वो उसे अपनी मर्जी से किसी को भी दे सकते हैं – चाहे पोता हो या कोई और। यानी स्वअर्जित संपत्ति में वसीयत का पूरा असर होता है लेकिन पैतृक में नहीं।

अगर दादा की संपत्ति का पहले ही बंटवारा हो चुका हो तो?

अगर किसी समय पर दादा की संपत्ति का पारिवारिक बंटवारा हो गया है और वो संपत्ति अब आपके पिता के नाम पर मालिकाना हक के साथ दर्ज है, तो अब वो संपत्ति स्वअर्जित मानी जाएगी। ऐसे में पोते का उस पर कोई अधिकार नहीं होता, जब तक कि पिता खुद उसे ना दें या वसीयत में उसका नाम न हो।

यह भी पढ़े:
EPFO Rule Change सरकार का बड़ा ऐलान! अब PF और पेंशन के नियमों में हुए बड़े बदलाव EPFO Rule Change

पोता संपत्ति पर कैसे दावा कर सकता है?

अगर किसी पोते को लगता है कि उसे उसके हक की संपत्ति नहीं दी जा रही है, तो वह अदालत का रुख कर सकता है। उसे साबित करना होगा कि संपत्ति वाकई पैतृक है, उसमें कभी बंटवारा नहीं हुआ है और वह चार पीढ़ियों से चली आ रही है। इसके लिए परिवार रजिस्टर, भूमि का रिकॉर्ड, पुराने दस्तावेज़, कब्जे से जुड़े साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत करना ज़रूरी होता है।

क्या बेटियों और पोतियों को भी हक है?

बिलकुल है। 2005 में आए एक महत्वपूर्ण संशोधन के बाद बेटियों और पोतियों को भी वही अधिकार दिए गए जो बेटों और पोतों को मिलते हैं। इसका मतलब है कि अब महिला वारिसों को भी पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलता है। ये एक बड़ा और सकारात्मक कदम है जो परिवारों में समानता और न्याय को बढ़ावा देता है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो पोते का हक सिर्फ पैतृक संपत्ति तक ही सीमित होता है और वो भी कुछ खास शर्तों पर। अगर संपत्ति स्वअर्जित है या उसका पहले ही बंटवारा हो चुका है, तो पोते का उस पर कोई हक नहीं बनता। लेकिन अगर संपत्ति पीढ़ी दर पीढ़ी बिना किसी वसीयत और बंटवारे के चली आ रही है, तो पोता जन्म से ही उसका अधिकारी होता है। इसलिए संपत्ति से जुड़े सभी दस्तावेज़ों को साफ और अपडेट रखना बेहद जरूरी होता है, ताकि आगे चलकर कोई विवाद न हो।

यह भी पढ़े:
Ration Card New Update राशन कार्ड का बड़ा अपडेट! जून से मिलेंगे ये 5 बड़े फायदे Ration Card New Update

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी कानूनी निर्णय या संपत्ति विवाद से पहले संबंधित अधिवक्ता या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। कानून में समय-समय पर बदलाव संभव है, इसलिए अद्यतन जानकारी हेतु अधिकृत स्रोतों की पुष्टि करना जरूरी है।

यह भी पढ़े:
New Property Possession सरकार की नई Express Possession सेवा से अब 3 दिन में मिलेगा प्रॉपर्टी कब्जा सर्टिफिकेट New Property Possession

Leave a Comment

Join Whatsapp Group