₹500 का चेक बाउंस पर भी होगी सीधे 2 साल की जेल – सुप्रीम कोर्ट का आदेश जारी Cheque Bounce Rules

By Prerna Gupta

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Cheque Bounce Rules

Cheque Bounce Rules – आज के डिजिटल जमाने में भले ही लोग UPI और ऑनलाइन पेमेंट का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं, लेकिन अब भी बहुत से लोग पेमेंट के लिए चेक का सहारा लेते हैं। खासकर बिजनेस और बड़ी रकम के लेन-देन में चेक एक भरोसेमंद तरीका माना जाता है। लेकिन ज़रा सी लापरवाही आपको मुश्किल में डाल सकती है। जी हां, अगर आपका चेक बाउंस हो गया—even ₹500 का भी—तो सामने वाले को कोर्ट जाने और आपको जेल भिजवाने का पूरा हक है। नए नियमों के मुताबिक अब चेक बाउंस सिर्फ छोटी गलती नहीं, बल्कि एक कानूनी अपराध बन गया है।

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अब चेक बाउंस पर हो सकती है दो साल की जेल

अगर आपने किसी को चेक दिया और वह बाउंस हो गया तो अब इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत आपको दो साल तक की जेल, चेक राशि के दोगुने तक जुर्माना और कोर्ट का खर्चा भी उठाना पड़ सकता है। कई बार लोग सोचते हैं कि चेक तो बस फॉर्मेलिटी है या पोस्ट-डेटेड दिया गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि मकसद चाहे जो भी हो, अगर चेक बाउंस होता है तो कार्रवाई जरूर होगी।

चेक बाउंस के बाद क्या-क्या होता है?

जैसे ही आपका चेक बाउंस होता है, बैंक आपको एक लिखित मेमो के साथ नोटिस भेजता है जिसमें कारण लिखा होता है। इसके बाद चेक प्राप्त करने वाला व्यक्ति आपको 30 दिन के अंदर एक लीगल नोटिस भेजता है और नोटिस मिलने के बाद आपके पास सिर्फ 15 दिन का समय होता है पैसे लौटाने का। अगर आपने तय समय में भुगतान नहीं किया तो वह व्यक्ति कोर्ट में केस कर सकता है और फिर शुरू होती है लंबी कानूनी प्रक्रिया। कोर्ट में दोनों पक्षों की सुनवाई, सबूत, और बहस के बाद अगर आप दोषी पाए गए तो आपको जेल और जुर्माने की सजा मिल सकती है।

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जेल कब और कैसे होती है?

अगर आपने जानबूझकर ऐसा किया है यानी आपके खाते में बैलेंस नहीं था और फिर भी चेक दिया, या फिर आपने लगातार तीन बार चेक बाउंस किया है, तो कोर्ट इसे गंभीर मानते हुए सजा दे सकता है। इसके अलावा अगर नोटिस मिलने के बाद भी आपने 15 दिन में भुगतान नहीं किया और कोर्ट में आप दोषी साबित हो गए, तो आपको दो साल तक की जेल हो सकती है। यहां तक कि पोस्ट-डेटेड या सुरक्षा के तौर पर दिया गया चेक भी अगर बाउंस हो गया, तो भी आप सजा से नहीं बच सकते।

2025 से लागू हुए नए नियम

1 अप्रैल 2025 से चेक बाउंस से जुड़े नियम और भी सख्त हो गए हैं। अब अगर किसी का चेक तीन बार बाउंस होता है, तो उसका बैंक खाता फ्रीज कर दिया जा सकता है। साथ ही, ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना भी आसान हो गया है और डिजिटल सबूतों को कोर्ट में मान्यता दी गई है। नए नियम सभी बैंकों के लिए समान रूप से लागू होते हैं।

बचाव के तरीके क्या हैं?

अगर आप खुद को चेक बाउंस केस से बचाना चाहते हैं तो सबसे जरूरी बात है कि चेक देने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपके खाते में पर्याप्त बैलेंस है। साथ ही सही नाम, तारीख, सिग्नेचर और राशि भरें और चेक में किसी तरह की ओवरराइटिंग न करें। कभी भी खाली चेक या पोस्ट-डेटेड चेक किसी पर भरोसा करके न दें। और अगर कभी गलती से चेक बाउंस हो जाए, तो जैसे ही नोटिस मिले तुरंत भुगतान कर दें ताकि कोर्ट-कचहरी की नौबत न आए।

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कानूनी प्रक्रिया कैसे चलती है?

अगर किसी ने आपके चेक को कोर्ट में चुनौती दी है तो सबसे पहले आपको बैंक से बाउंस मेमो लेना होगा, फिर 30 दिन के अंदर लीगल नोटिस भेजना जरूरी होता है। उसके बाद अगर 15 दिन में भुगतान नहीं हुआ, तो कोर्ट में केस फाइल किया जाता है। कोर्ट में फिर गवाह, सबूत, और सुनवाई के बाद जज फैसला सुनाते हैं। केस को खत्म होने में 6 महीने से 2 साल तक का वक्त लग सकता है और अगर दोनों पक्ष चाहें तो आपसी समझौते से केस खत्म भी किया जा सकता है।

चेक बाउंस क्यों होता है?

अक्सर चेक बाउंस होने की वजह होती है खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना, गलत सिग्नेचर, ओवरराइटिंग, गलत अकाउंट डिटेल्स, चेक की वैधता समाप्त होना या फिर खाता बंद होना। कई बार गलती से भी चेक बाउंस हो जाता है, लेकिन कोर्ट ऐसी बातों को बहुत गंभीरता से लेता है।

आज के समय में चेक बाउंस एक गंभीर अपराध बन चुका है। अगर आप थोड़ा भी लापरवाह हुए तो इसका अंजाम आपको कोर्ट-कचहरी और यहां तक कि जेल तक पहुंचा सकता है। इसलिए हमेशा सावधानी बरतें, चेक देने से पहले सभी डिटेल्स को जांचें और किसी पर आंख बंद कर भरोसा न करें। अगर नोटिस आया है तो समय रहते पैसे लौटा दें ताकि कानूनी कार्रवाई से बच सकें।

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Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह नहीं है। चेक बाउंस से संबंधित मामलों में सटीक सलाह के लिए आप किसी कानूनी विशेषज्ञ या वकील से संपर्क करें।

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