सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! अब ससुराल वाले नहीं छीन सकेंगे बहू के ये हक Wife Rights In Husband House

By Prerna Gupta

Published On:

Wife Rights In Husband House

Wife Rights In Husband House – भारत में महिलाओं को लेकर कानून काफी मजबूत बनाए गए हैं, खासतौर पर शादी के बाद बहू के अधिकारों को लेकर। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जो हर महिला को जानना चाहिए। इस फैसले के अनुसार, अब कोई भी ससुराल वाला बहू को उसके ससुराल के घर से नहीं निकाल सकता, चाहे वह घर सास-ससुर के नाम पर हो या फिर पति के नाम पर।

योजना के लिए आवेदन करें

साझे घर में बहू का रहना कानूनी अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी बहू को उसके ससुराल के साझा घर में रहने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। यह घर चाहे सास-ससुर की हो, पति के नाम हो या संयुक्त रूप से हो—बहू को वहां रहने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला का यह अधिकार तब तक बना रहेगा जब तक उसके वैवाहिक संबंध कायम हैं या जब तक वह किसी अन्य विकल्प के लिए मजबूर नहीं होती।

हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया सुप्रीम कोर्ट ने

यह मामला तब सामने आया जब एक महिला ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जिसमें उसे उसके ससुराल के घर से निकल जाने का आदेश दिया गया था। हाईकोर्ट का कहना था कि बहू का आश्रय उसके पति का घर है, न कि सास-ससुर का। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को गलत बताते हुए कहा कि बहू को बिना वैध कानूनी आधार के घर से निकाला नहीं जा सकता।

यह भी पढ़े:
Pan Card New Update पैन कार्ड धारक सावधान! ये काम नहीं किया तो लगेगा ₹10,000 जुर्माना Pan Card New Update

वरिष्ठ नागरिक कानून का दुरुपयोग नहीं हो सकता

इस पूरे मामले में सास-ससुर ने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, 2007 के तहत यह दावा किया था कि उन्हें अपनी संपत्ति पर अधिकार है और वे बहू को अपने घर से निकाल सकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह कानून वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षा देने के लिए है, न कि किसी महिला के कानूनी अधिकार छीनने के लिए। इस कानून का इस्तेमाल बहू को बेघर करने के लिए नहीं किया जा सकता।

पति की पैतृक संपत्ति पर बहू का अधिकार

जब बात ससुराल की संपत्ति की होती है, तो बहुत से लोग भ्रम में रहते हैं कि क्या बहू का उस पर कोई हक है या नहीं। अगर संपत्ति पति की पैतृक (ancestral) है, तो वहां भी बहू को कुछ हद तक अधिकार मिल सकता है। जैसे यदि पति की मृत्यु हो जाती है, तो बहू को उस पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है। हालांकि, जब तक पति जीवित है और वह अपनी संपत्ति पत्नी के नाम नहीं करता, तब तक बहू सीधे तौर पर ससुराल की संपत्ति में अपना हिस्सा नहीं मांग सकती।

स्वअर्जित संपत्ति पर नहीं है बहू का हक

यदि सास-ससुर की संपत्ति स्वअर्जित (self-acquired) है, तो उस पर बहू का कोई कानूनी हक नहीं बनता। इस पर पूरा अधिकार सास-ससुर का होता है कि वे इस संपत्ति को किसे देना चाहते हैं। चाहे वह अपने बेटे को दें या किसी और को, बहू उसमें दखल नहीं दे सकती। हां, अगर वह संपत्ति संयुक्त रूप से पति-पत्नी के नाम पर है, तो बहू का उस पर अधिकार बन सकता है।

यह भी पढ़े:
Face Scan Attendance हजारों शिक्षकों की सैलरी दांव पर, नही किया ये काम तो कटेगा वेतन Face Scan Attendance

सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्यों है अहम?

यह फैसला हर उस महिला के लिए उम्मीद की किरण है, जो शादी के बाद अपने ससुराल में रह रही है लेकिन उसे मानसिक या कानूनी रूप से बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि बहू को उसका घर से निकालना उसके अधिकारों का उल्लंघन है और इसे किसी भी कानून के नाम पर जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिला अधिकारों के लिहाज से काफी बड़ा माना जा रहा है। इससे यह साफ हो गया है कि शादी के बाद ससुराल में बहू का सिर्फ भावनात्मक नहीं, कानूनी रिश्ता भी होता है। अगर किसी महिला को उसके ससुराल से निकाला जा रहा है, तो वह इस फैसले का हवाला देकर अपने अधिकार की रक्षा कर सकती है।

Disclaimer

यह भी पढ़े:
Bank Loan Interest Rate PNB समेत कई बैंकों ने सस्ते किए लोन – आपकी EMI अब होगी आधी Bank Loan Interest Rate

यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई कानूनी बातों की पुष्टि के लिए संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की व्याख्या केस-टू-केस आधार पर अलग हो सकती है। पाठक कृपया किसी भी कानूनी कदम से पहले विशेषज्ञ की राय लें।

Leave a Comment

Join Whatsapp Group