Petrol Diesel Price – भारत में आम लोगों के लिए एक राहत की खबर सामने आई है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट आई है और ये बदलाव सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी के चलते हुए हैं। इस गिरावट से लोगों की जेब पर जो बोझ था, उसमें थोड़ी राहत जरूर महसूस की जा रही है।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ताजा बदलाव
भारत में पेट्रोल और डीजल के रेट्स रोजाना तय होते हैं और ये सीधे तौर पर इस बात पर निर्भर करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम कैसे चल रहे हैं। अभी जो ताजा हालात हैं, उनमें भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम हुई हैं। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली में पेट्रोल की कीमत में गिरावट दर्ज की गई है, जबकि मुंबई में डीजल की कीमतों में थोड़ी राहत मिली है। कोलकाता में पेट्रोल की कीमत स्थिर बनी हुई है, वहीं चेन्नई में डीजल के दामों में मामूली कमी देखी गई है।
देश के बड़े शहरों में आज के रेट्स क्या हैं?
हर शहर में टैक्स और स्थानीय शुल्क के चलते कीमतों में थोड़ा बहुत फर्क देखने को मिलता है, लेकिन कुल मिलाकर देशभर में एक जैसी ट्रेंड देखने को मिल रही है। जैसे कि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 86.67 रुपये प्रति लीटर है। मुंबई में पेट्रोल 109.98 रुपये और डीजल 94.14 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। इसी तरह कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद में भी कीमतें थोड़ी-बहुत अंतर के साथ सामने आ रही हैं।
आखिर क्यों हो रही है तेल की कीमतों में गिरावट?
तेल की कीमतों में आई गिरावट के पीछे कई अहम वजहें हैं। सबसे पहली वजह है ओपेक देशों द्वारा उत्पादन में बढ़ोतरी करना। जब ज्यादा तेल मार्केट में आता है, तो कीमतें अपने आप गिर जाती हैं। दूसरी बात, कोविड-19 के बाद से वैश्विक स्तर पर तेल की मांग थोड़ी कम हुई है, जिससे भी दाम घटे हैं। इसके अलावा अमेरिका में शेल ऑयल का उत्पादन भी लगातार बढ़ा है और मध्य-पूर्व देशों में राजनीतिक स्थिरता बनी हुई है, जो सप्लाई को बिना रुकावट जारी रखती है। डॉलर की मजबूती भी एक बड़ा कारण है क्योंकि क्रूड ऑयल का लेन-देन डॉलर में ही होता है।
आगे क्या होगा – तेल की कीमतें फिर से बढ़ेंगी या और कम होंगी?
तेल की कीमतें स्थिर रहना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि ये बहुत सारे फैक्टर्स पर निर्भर करती हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति, पर्यावरणीय नीतियां, तकनीकी विकास और ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ जैसे कारणों का असर सीधा तेल के दामों पर पड़ता है। जैसे-जैसे नई ऊर्जा तकनीकें जैसे सोलर और इलेक्ट्रिक गाड़ियां बढ़ेंगी, तेल की मांग में कमी आ सकती है। दूसरी तरफ अगर आर्थिक विकास तेज होता है तो तेल की मांग और कीमतें दोनों फिर से ऊपर जा सकती हैं।
तेल की कीमतों का आम आदमी पर क्या असर पड़ता है?
ये बात तो तय है कि जब भी तेल महंगा होता है, सबसे पहले ट्रांसपोर्ट महंगा होता है। फिर उसका असर किसानों पर पड़ता है क्योंकि ट्रैक्टर और पंप सेट्स सब डीजल पर चलते हैं। इसी के साथ उद्योगों की प्रोडक्शन कॉस्ट भी बढ़ जाती है और आखिर में महंगाई का सीधा असर सब्जियों, फलों और बाकी जरूरी सामानों पर पड़ता है। इसीलिए जब तेल सस्ता होता है, तो इसका फायदा पूरे देश को होता है।
अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कीमतों की तुलना कैसे करें?
अगर आप सोच रहे हैं कि भारत में तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले ज़्यादा क्यों हैं, तो उसका सीधा जवाब है टैक्स और ड्यूटीज़। जैसे कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 70 रुपये प्रति बैरल है, तो भारत में वही तेल 75 रुपये या उससे भी ज़्यादा पर बिकता है क्योंकि उसमें टैक्स, डीलर कमीशन, और ट्रांसपोर्टेशन चार्ज जुड़ जाते हैं।
तेल की कीमतों को समझना और अपडेट रहना क्यों जरूरी है?
हर आम आदमी को यह समझना जरूरी है कि तेल की कीमतें क्यों बदलती हैं और इसका हमारे रोजमर्रा के खर्चों पर क्या असर पड़ता है। ये बदलाव सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि भारत सरकार की नीतियों, राज्यों के टैक्स और लोकल जरूरतों पर भी निर्भर करता है। ऐसे में अगर आप इन रेट्स को फॉलो करते रहेंगे तो आपको अपने खर्चों की बेहतर प्लानिंग करने में मदद मिलेगी।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दिए गए पेट्रोल और डीजल के रेट्स दैनिक अपडेट पर आधारित हैं और समय के साथ इनमें बदलाव संभव है। कृपया किसी भी वित्तीय या व्यावसायिक निर्णय से पहले स्थानीय ऑथोरिटी या संबंधित वेबसाइट पर ताजा जानकारी जरूर जांचें।