B.Ed Course Admission – भारत में अगर किसी का सपना सरकारी शिक्षक बनने का है, तो B.Ed यानी बैचलर ऑफ एजुकेशन कोर्स करना अनिवार्य होता है। लेकिन अब इस कोर्स को लेकर एक बड़ा बदलाव हुआ है, जो उन छात्रों के लिए राहत लेकर आया है जो कम समय में शिक्षक बनना चाहते हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने नई शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षकों की तैयारी के लिए एक नया 1 वर्षीय B.Ed कोर्स शुरू करने की मंजूरी दे दी है। यह कोर्स शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू किया जाएगा और इसकी अधिसूचना वर्ष 2025 में जारी की जाएगी।
नई शिक्षा नीति के तहत 1 साल का B.Ed कोर्स
NCTE ने 1 वर्ष का नया B.Ed कोर्स उन उम्मीदवारों के लिए पेश किया है जिन्होंने या तो 4 साल की ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली है या फिर पारंपरिक 3 साल की डिग्री के बाद 2 साल की मास्टर डिग्री हासिल की है। इस कोर्स का मुख्य उद्देश्य है कि योग्य और उच्च शिक्षित युवाओं को कम समय में शिक्षक बनने का अवसर दिया जाए, ताकि वे देश की शिक्षा प्रणाली को और बेहतर बना सकें। यह कोर्स दो सेमेस्टर में पूरा होगा, यानी एक पूरा साल। सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए इसमें न्यूनतम 50% अंक और आरक्षित वर्ग के लिए 45% अंक अनिवार्य होंगे। अच्छी बात ये है कि इस कोर्स के लिए कोई अधिकतम उम्र सीमा नहीं रखी गई है।
पहले क्यों बढ़ाया गया था B.Ed का समय
अगर हम पीछे जाएं तो 2014 में NCTE ने B.Ed कोर्स की अवधि 1 साल से बढ़ाकर 2 साल कर दी थी। उस समय इसके पीछे उद्देश्य था कि शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण और गहराई से ज्ञान मिले। लेकिन बीते सालों में यह देखने को मिला कि 2 साल की अवधि के बावजूद कोर्स का प्रभाव बहुत ज्यादा नहीं रहा। ना तो इसमें छात्रों की संख्या में खास इजाफा हुआ और ना ही गुणवत्ता में उम्मीद के अनुसार सुधार आया। इसलिए अब इसे फिर से छोटा करके 1 साल का कर दिया गया है, लेकिन इस बार इसे और अधिक व्यावहारिक और आधुनिक बनाया गया है।
4 वर्षीय B.Ed और ITEP की स्थिति
पहले जो 4 साल का इंटीग्रेटेड B.Ed कोर्स था जैसे BA-B.Ed और BSc-B.Ed, उसे भी अब बंद कर दिया गया है। इसके स्थान पर नया 4 वर्षीय “इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम” (ITEP) लाया गया है। यह कोर्स एक ही समय में स्नातक और B.Ed दोनों की पढ़ाई पूरी करने का अवसर देता है। यानी छात्रों को अलग-अलग डिग्री करने की आवश्यकता नहीं रहेगी। इस कोर्स की सबसे खास बात ये है कि इसमें छात्रों को स्कूलों में इंटर्नशिप का सीधा अनुभव मिलेगा और कम से कम 16 हफ्तों की स्कूल इंटर्नशिप अनिवार्य की गई है।
B.Ed कोर्स में लाए गए प्रमुख बदलाव
B.Ed कोर्स को अब पहले से ज्यादा प्रोफेशनल और आकर्षक बनाया जा रहा है। इसमें तकनीकी इनोवेशन, ICT (इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी), समावेशी शिक्षा और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग को खास अहमियत दी गई है। छात्रों को अब सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि वास्तविक कक्षा अनुभव, स्कूलों में ट्रेनिंग और आधुनिक शिक्षण तकनीकों की जानकारी भी दी जाएगी। यह सब कुछ नई शिक्षा नीति के अनुरूप है, जिसका फोकस है “सीखने के अनुभव को बेहतर बनाना और शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार लाना।”
इस बदलाव से किन्हें होगा सबसे ज्यादा फायदा
यह नया 1 वर्षीय B.Ed कोर्स उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है जो पहले से पढ़ाई पूरी कर चुके हैं और अब शिक्षक बनना चाहते हैं। खासकर वे छात्र जो स्नातकोत्तर कर चुके हैं और अब जल्दी से कोई प्रोफेशनल कोर्स करके नौकरी पाना चाहते हैं, उनके लिए यह बेहतरीन अवसर है। साथ ही, इससे B.Ed की पढ़ाई का बोझ भी कम होगा और युवा जल्द से जल्द नौकरी के लिए आवेदन कर सकेंगे।
क्या 2 साल वाला B.Ed बंद हो जाएगा?
फिलहाल 2 वर्षीय B.Ed कोर्स को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। यानी यह अभी भी मान्य है, लेकिन भविष्य में अगर ITEP अनिवार्य कर दिया गया, जैसा कि 2030 तक योजना है, तो शायद 2 वर्षीय कोर्स को भी धीरे-धीरे बंद किया जा सकता है। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, यह कोर्स चलता रहेगा।
नई शिक्षा नीति के तहत लाए गए 1 साल के B.Ed कोर्स को देखकर यह साफ है कि सरकार अब शिक्षा क्षेत्र में तेज़, व्यावहारिक और गुणवत्तापूर्ण बदलाव चाहती है। यह कोर्स न सिर्फ शिक्षकों की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगा बल्कि उन युवाओं को भी रास्ता देगा जो कम समय में शिक्षक बनने का सपना देखते हैं।
Disclaimer
यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचनाओं और शैक्षणिक नीतियों पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि वे कोर्स से जुड़ी किसी भी जानकारी या आवेदन से पहले आधिकारिक वेबसाइट या संबंधित शिक्षा विभाग से पुष्टि अवश्य कर लें। यहां दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान हेतु प्रस्तुत की गई है।