हाई कोर्ट का बड़ा फैसला! अब संविदा कर्मचारी को मिलेगी परमानेंट नौकरी Contract Employees Regularization

By Prerna Gupta

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Contract Employees Regularization

Contract Employees Regularization – उत्तर प्रदेश के हजारों संविदा (Contract) और आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए एक बहुत ही राहत भरी खबर सामने आई है। जो लोग कई वर्षों से अस्थायी रूप से काम कर रहे थे और अपनी नौकरी की सुरक्षा को लेकर चिंता में रहते थे, अब उनके लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से एक बड़ी उम्मीद जगी है। खासतौर पर ग्रेटर नोएडा के जलकल विभाग में काम कर रहे लगभग 93 आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए कोर्ट का यह फैसला किसी जीत से कम नहीं है। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या था, कोर्ट ने क्या आदेश दिया और इसका असर क्या होगा।

क्या था पूरा मामला?

इस मामले की शुरुआत काफी पहले, यानी साल 2010 से मानी जा सकती है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अंतर्गत जलकल विभाग में कई कर्मचारी आउटसोर्स या संविदा के तौर पर काम कर रहे थे। इन कर्मचारियों को वर्षों से न्यूनतम वेतन, ईपीएफ (EPF), ईएसआई (ESI) जैसी जरूरी सुविधाएं तक सही ढंग से नहीं मिल रही थीं। इतना ही नहीं, वेतन में गड़बड़ियों और अधिकारियों द्वारा शोषण की खबरें भी सामने आती रहीं। आखिरकार, जब यह सब हद से ज्यादा हो गया, तो करीब 93 आउटसोर्स कर्मचारियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

इन कर्मचारियों की मांग थी कि उन्हें भी केंद्र सरकार के GEM (Government e Marketplace) पोर्टल की गाइडलाइन्स के अनुसार वेतन और अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की कि उन्हें स्थायी (परमानेंट) कर्मचारी का दर्जा दिया जाए क्योंकि वे लंबे समय से उसी विभाग में बिना ब्रेक के सेवाएं दे रहे हैं।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में दिया फैसला

लंबी सुनवाई और कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार 14 मई 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस केस में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि इन 93 आउटसोर्स कर्मचारियों को अब 4 महीने के अंदर नियमित किया जाए। यानी ये सभी अब स्थायी कर्मचारी बनने की ओर बढ़ेंगे। इसके अलावा, जिन 23 कर्मचारियों को बीच में बिना कोई कारण बताए नौकरी से निकाल दिया गया था, उन्हें भी तीन महीने के भीतर फिर से बहाल करने का आदेश दिया गया।

कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात पर जोर दिया कि जिन कर्मचारियों ने लंबे समय से एक ही विभाग में काम किया है और जिनकी सेवा लगातार चलती रही है, उन्हें स्थायी करने से इनकार करना अन्याय होगा। यह न सिर्फ उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि भारत के श्रम कानूनों के भी खिलाफ है।

उत्तर प्रदेश सरकार को सख्त निर्देश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिर्फ आदेश ही नहीं दिया, बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया कि इन आदेशों का पालन समय सीमा के अंदर हो। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि यदि यह आदेश 4 महीने में लागू नहीं किए जाते, तो यह अवमानना (Contempt of Court) का मामला बन सकता है। इस निर्देश से यह साफ है कि कोर्ट इस मुद्दे को लेकर बेहद गंभीर है और कर्मचारियों को उनका अधिकार दिलाना चाहती है।

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कर्मचारियों में खुशी की लहर

इस फैसले के बाद ग्रेटर नोएडा जलकल विभाग के 93 कर्मचारियों में जबरदस्त उत्साह और राहत की लहर दौड़ गई है। कई कर्मचारी जो सालों से अपनी नौकरी की स्थिरता को लेकर तनाव में थे, अब उन्हें एक स्थायी नौकरी और सभी सरकारी लाभ मिलने की उम्मीद बंधी है। 23 कर्मचारी जो नौकरी से निकाले गए थे, अब उनकी बहाली की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और आने वाले समय में अन्य विभागों में भी इसी तरह की मांगें उठ सकती हैं।

इस फैसले का व्यापक असर

यह फैसला सिर्फ ग्रेटर नोएडा जलकल विभाग के कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा। यूपी के दूसरे विभागों में भी जो आउटसोर्स या संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं, वे भी इस फैसले का हवाला देकर अपनी नियमितीकरण की मांग कर सकते हैं। कोर्ट ने जो आधार दिया है, वह सभी के लिए एक समान है – लंबे समय से सेवाएं देने वाले कर्मचारियों को स्थायी करना न्यायोचित है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह फैसला एक मिसाल बन सकता है उन लाखों आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए जो सालों से एक ही विभाग में बिना किसी स्थायित्व के काम कर रहे हैं। अब उनके लिए भी एक उम्मीद की किरण जगी है कि अगर वे न्याय की राह पर आगे बढ़ते हैं, तो उन्हें उनका हक जरूर मिलेगा।

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Disclaimer

यह आर्टिकल सिर्फ सूचना और जागरूकता के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी कोर्ट के आदेश और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी निर्णय या दावे से पहले संबंधित विभाग या कानूनी विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।

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